जिधर देखो इश्क के बिमार बैठे है,
हजारों मर चुके, सैकडों तैयार बैठे है!
हमने भी खूब इंतजार किया मगर
पता चला हम तो बेकार बैठे है
इश्क की परछाईया तो छु ना सके
थाम के दिल बेकरार बैठे है
हाय कोई तो हमारी किमत लगाए
आंखे बिछाए सरे बाजार बैठे है
तडपने की तो अब आदतसी है हम को
दामन मे लिये अंगार बैठे है
-स्वानंद
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टीप: पहिल्या २ ओळी जालावर सापडल्या, आवडल्या.
मग बाकीच्या आपोआप सुचल्या...
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